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ज्ञान का दीपक जलाने वाले , याद कर अपनी ही आरती उतारनी है | - ज्ञान की चेतावनी - 26
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मैं अपने ही जलता हूँ | दीपक हूँ प्रकाश देता हूँ | स्नेह मेरा धन | - ज्ञान - 42
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दिवाली में ( ज्ञान ) दीपक जला , होली में ( उसकी ) हो ली | चैत प्रारंभ था फाल्गुन में फाग खेली और अंत हुआ ( कामना का ) | - चेतना - 120
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प्यार का दीपक जला | न दीपक जला न प्यार | - भक्ति - 185
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जीवन दीपक जलता रहा प्रतीक्षा में | किसकी ? अपने की , अपनी | इसे जलना कहा जाये या प्रकाश फैलाना ? - भाव - 188
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जीवन संध्या समीप , दीपक जलने को नहीं , बुझने को है | क्या इसी जीवन में तेरी प्राप्ति नहीं ? आदि अंत किसे समझू ? यहाँ आधी व्याधि ही है | - भाव - 283
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दीपक का तीव्र प्रकाश अहंकार , मृदुल बुद्धि , चंचल ( प्रकाश ) मन और शरीर एक दीपक | - ज्ञान - 286
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मनुष्य ने दीपक जलाया कल्पना का , कल्पना साकार दीपक स्वयं , देदीप्यमान स्वयं , चन्द्र सूर्य लजा रहे है उसका प्रकाश देख कर | - ज्ञान - 304
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मृत्यु क्या है ? कष्ट दायक प्रसव | मृत्यु क्या है ? दीपक निर्वाण | मृत्यु क्या है ? रूपान्तर | मृत्यु क्या है ? कयामत | मृत्यु क्या है ? स्थूल सूक्ष्म का वियोग | मृत्यु क्या है ? महा प्रस्थान , महा मिलन | - ज्ञान - 310
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यह शरीर दीपक , रक्त स्नेह (तेल) आयु वर्तिका , वायु प्राण प्रज्वलनकर्त्तृ |
- ज्ञान - 315
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स्नेह - प्यार है या तेल जो शरीर रुपी दीपक को सार्थक करता है | - चेतना - 354
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जलते हुए दीपक को बुझते हुए देख कर कहा - यह क्या हुआ ? अहं विराट स्वयं में मिल गया | और पाप पुण्य ? धर्मों को छोड़ गया |
- ज्ञान की चेतावनी - 422
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दीपक - तूने क्या दिया ? प्रकाश यह तो बाहरी है | तुम कौन हो जो मेरे हृदय में चमक रहे हो ? तुम्हारा प्रिय |
- भाव - 502
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दिया दिल | दिल दीपक बन गया | रोशनी में रूह सनी थी | तभी तो झीनी-झीनी रोशनी दिल को रिझा रही थी | - भक्ति - 604
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तले अन्धेरा ऊपर प्रकाश , वाह रे दीपक इतना पास |
- चेतना - 636
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दीपक जलाया मृत्यु के पश्चात् , जो जीवन भर जलाते रहे व्यवहारों से |
- चेतना - 637
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शरीर पात के पश्चात् दीपक जलाया | रहते रहते , सहते सहते दीपक जलाने वाले का दर्शन न हुआ | जलते जलते बुझ गया |
- चेतना - 638
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दीपक प्रकाश के लिये है , पतंगे जलते है , दीपक का क्या दोष ? होश में रहता तो दोष दिखलाई देता | जोश में होश खो बैठा , जलना ही जलना रहा | - चेतावनी - 692
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बुझता हुआ दीपक देखा - दिल किसने देखा ? सूर्य अस्त हुआ दृष्टि में किन्तु सृष्टि में कहीं न कहीं वह प्रकाश अवश्य देता है |
- ज्ञान की चेतावनी - 783
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जलता है , हाथ मलता है | यदि हृदय का प्रेम दीपक जलता तो हाथ मिलाता |
- भक्ति की चेतावनी - 898
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यदि दीपक ने निमन्त्रण नहीं दिया पतंगों को तो वे आये क्यों ? रूप शिखा ने उनको बेचैन किया | विषयों की भी वही बात है | घात पर घात है |
- चेतना - 1024
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जलते हुए दीपक को देखकर कहा - यह जलता क्यों है ? अरे ! यह जलेगा नहीं तो प्रकाश कैसे फैलायेगा |
- भक्ति की चेतावनी - 1035
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दीपक बुझने के पूर्व प्यास बुझा वासना की , प्रेम की | नहीं तो जलती रहेगी वासना | देह , गेह , मिथ्या नेह | - भक्ति - 1052
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दीपक प्रज्वलित किया किसके लिए ? अपने लिए या देव के लिए | देव स्वयं प्रकाशमय , अन्धकार में तुम हो कि देव के लिए समझते हो |
- ज्ञान की चेतावनी - 1110
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प्रतिमा प्रत्यक्ष है दीपक प्रज्वलित | सूक्ष्म प्रेम स्थूल में भी प्रकाश फैलाता है |
- भक्ति की चेतावनी - 1332
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प्रेम दीपक कभी बुझता नहीं | वासना ही प्राणी की संगिनी बनी | वियोग जीवन को भार बना देता है | संयोग से योग होता है |
- भक्ति - 1413
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दीप में यदि स्नेह न हो तो निरर्थक दीपक |
- भक्ति की चेतावनी - 1448
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जीवन संध्या तक यदि ज्ञान दीपक प्रज्वलित न हुआ तो अँधेरी रात में क्या देख पायेगा ? देख , पायेगा अपने प्रियतम को यदि भक्ति तेरा साथ दे , भाव तेरा चाव बढ़ाये ।
- भक्ति की चेतावनी - 1509
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आगामी उत्सव ( 3 महीना )
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आगामी उत्सव हिंदी तिथि के अनुसार दिये गयें है कृपया अंतिम जानकारी सबंधित सदनों से लें |(Year-2022-2023.)
(Email :- info@bhavnirjharini.com)
भाव निर्झरिणी (Help File-Click Download PDF)
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