Bhav Nirjharini  |  SantMani  | 
Sahitya
 |  Sadan  |  Utsav

    28/4/2025   Monday
ये वासना क्या करेगी जब तुम्हारी शीतल छाया मस्तक पर है | - भाव - 350

गर्मी में शीतलता --

गर्मी में शीतलता | माया में माया पति , खोजने वाला शान्ति पाता है |
चेतावनी - 363

------------------------------------------------------------
भाव निर्झरिणी(Help-Video Click)
-------------------------------------------------------------
82-Sant Mani Videos on youtube - Click here

Select Word :
  • यह किसकी धूप ? सूर्य की ? सूर्य की नहीं , ज्ञान की | सुगन्ध सुमन की नहीं , सु मन की , मैंने तुम्हीं में अपने को खोया है | - भक्ति - 79
  • आज किससे कहूँ , कि जलता हूँ या प्रकाश देता हूँ ? जानने वाला ही जानता है | - भाव - 132
  • स्थूल सूर्य एक ही दीख पड़ता है किन्तु सूक्ष्म आत्म सूर्य शून्य आकाश में अनन्त है | - ज्ञान की चेतावनी - 138
  • मैंने सूर्य की किरणों के रूप में तुम्हें स्पर्श किया | तुम भी भाव की भाप बन ऊपर उठो और बरसाओ प्रेम जल को प्यासी दुनिया तृप्त हो | - चेतना - 145
  • खुद ही गर्म होती है और खुद ही बरसाती है कैसी पगली है | ( प्रकृति ) । - चेतना - 180
  • धूप आई ( प्रकाश ) - धूप जली ( आनन्द ) | - ज्ञान की चेतावनी - 197
  • गर्मी आई - ठंडी हवा भी आई - वर्षा बिना | जलती भूमि कब शांत , बीज कब प्रस्फूटित | - चेतना - 257
  • हिमालय ने शीतलता दी ग्रीष्म में भी | है कोई हिमालय सम प्राणी जो सम विषम को सम बनाये , जलते को ठंडक पहुँचाये ? संत और शांत | - भाव - 334
  • यह सूर्य की किरणों का खेल है या पृथ्वी का उगलना है जिसने प्राणी मात्र को प्रकाश दे रखा है हृदय का , तन का | - भाव - 359
  • गर्मी में शीतलता | माया में माया पति , खोजने वाला शान्ति पाता है | - चेतावनी - 363
  • सूर्य हँस रहा है तेरा तेज देख कर | चन्द्र मुस्करा रहा है तेरी शीतलता देख कर | पृथ्वी लजा रही है तेरा धैर्य देख कर | जल उछल रहा है तेरा उत्साह देख कर | अग्नि व्याकुल हो रही है तेरी ज्योति देखकर | वायु चकित हो रही है तेरी आयु देख कर | नभ ईर्ष्यालु हो रहा है तेरी विशालता देख कर | तू नर है या नारायण | नारायण का नर है या नारायण ही नर है | - भाव - 379
  • प्रकाश ले - नहीं तो जल उठेगा तन , मन , धन यह समय की आग है | - चेतावनी - 396
  • उषा , सूर्य का आगमन सूचित करती है - मधुर भाव प्रेम का | - भक्ति की चेतावनी - 513
  • तप्त भावों ने उष्ण कर डाला , क्षेत्र को | शांति वाष्प बनी | आनन्द का अभाव प्रतीत हुआ | बाहर खोजने लगा | - चेतना - 531
  • सूर्य की रश्मियों ने मेरे दिल की कली खिला दी और पिला दी कुछ ऐसी भावना की सूर्य अस्त हो जायगा किन्तु मेरी भावना अमर रहेगी | - भाव - 555
  • भीतर गर्मी बाहर गर्मी फिर शांति कहाँ ? - चेतावनी - 602
  • शरीर की जलन ने शीतलता को अपनाया | अभी मन की जलन का खेल देख , उष्णता शीतलता में बदले और शीतलता उष्णता में | यही मन के खेल हैं | - ज्ञान की चेतावनी - 621
  • यह उष्ण शीतल वायु क्यों ? समुद्र से प्रेरणा पाकर भी वायु उष्ण ? पहाड़ ने शीतलता दी | आश्चर्य | पहाड़ ने हिम धारण की और समुद्र ने ? कुछ भी धारण न किया | - ज्ञान की चेतावनी - 650
  • चिनगारी में चिन्ह है प्रकाश का | गारी ना-समझो का काम | - ज्ञान की चेतावनी - 678
  • फूल ऐंठ रहा था रूप पर , सुगन्ध पर | मूल ने कहा - अरे पागल ! वायु ने सुगन्ध फैलाई , सूर्य ने रूप दिया | मैं छिप कर तुझे खिला रही हूँ | अभिमान कैसा ? - भक्ति की चेतावनी - 687
  • सु आर्य ही सूर्य के समान चमका | सूरज तो सु रज बनकर मन को प्रफुल्लित करता है | - ज्ञान की चेतावनी - 688
  • गैर में रमी तो गर्मी , सर लगा प्रेम का तो सर्दी , न तरसा तो बरसा , सिर दे तो शरद , है नहीं अन्त तो हेमन्त | बस अन्त माने तो बसन्त | - भक्ति की चेतावनी - 736
  • प्रकाश फैलाने दे अंधेरा दूर हो | दिल का प्रकाश - प्रेम , बुद्धि का प्रकाश - विद्या | अहंकार को प्रकाश तब मिले , जब स्वयं कृपा करे | - चेतना - 739
  • मध्यान्ह सूर्य को आँखों से देखना सरल नहीं | जिनका हृदय कमल की तरह है खिल उठते हैं , देखना कैसा ? - चेतना - 747
  • सूर्य की किरणें अंधकार से बातें करने लगीं | अंधकार कहने लगा - मैं पुरुष सदा तुमसे हारा , प्यार में , रण में , क्योंकि प्यार का रण पराजित करता है पुरुष को | - चेतना - 780
  • प्यार में भी गर्मी है और क्रोध में भी | इस गर्मी में गैर कौन है ? रमी किस में है ? गैर है क्रोध और रमी है प्यार में | प्यार तो इसका रूप है | - भक्ति की चेतावनी - 866
  • शीत हुआ मीत , अब क्यों काँपता है ? गर्मी ने नर्मी भुला दी , अब क्यों पसीने पसीने हुआ जाता है ? वर्षा भी तुझे शांत न कर सकी तो क्यों जग में आया ? यहाँ तो कुछ ऐसा ही है | - ज्ञान की चेतावनी - 888
  • पतझड़ में बसन्त देखा और बसन्त में सावन की रिमझिम किन्तु पूर्व इसके झुलसाने वाली गर्मी | प्रकृति से भी शिक्षा लेता तो सन्तोष होता | - भक्ति की चेतावनी - 982
  • जलते हुए दीपक को देखकर कहा - यह जलता क्यों है ? अरे ! यह जलेगा नहीं तो प्रकाश कैसे फैलायेगा | - भक्ति की चेतावनी - 1035
  • वे चिंगारियाँ जो प्रकाश देती हैं , वे चिंगारियाँ जो जलाती है - एक ही का खेल है | चाहे जलो चाहे प्रकाश लो | चाहे वासना कहो चाहे प्रेम | - भक्ति की चेतावनी - 1098
  • शून्य में प्रकाश ? आकाश भी तो शून्य ही है , प्रकाश देखता है कि नहीं ? - चेतना - 1169
  • प्राणी उष्ण हुआ , फट पड़ा , शीतल हुआ जम गया , इहलोक , परलोक में | फिर साधना ? यह वाद विवाद है | - चेतना - 1197
  • तप्त वायु ने बादलों की सृष्टि की या भास्कर की किरणों ने ? यह रहस्य है किन्तु सत्य है वियोगी का योगी होना , त्यागी का महा अनुरागी होना , कामी का व्याकुल होना , लोभी का छटपटाना | - चेतना - 1202
  • प्रकाश को अवकाश नहीं , फिर भी दुनिया का अंधेरा दूर नहीं हो पाता | प्रकाश क्या करे दुनियावालों को अवकाश नहीं कि वे प्रकाश को देखें | वे जिसे चाहते हैं , उसके वाहन को अंधेरा ही प्रिय है | - चेतना - 1233
  • सूर्य तुझे अर्ध्य समर्पण करूँ ? अर्ध्य नहीं अघ की भावना समर्पित कर | फिर प्रकाश ही प्रकाश है | - भक्ति की चेतावनी - 1280
  • चाँद ने कहा - शीतलता ग्रहण कर | सूर्य ने कहा - ऊष्णता | संध्या ने कहा - मैं मिलन की उपासिका हूँ | मन मिलन का इच्छुक है | ऊष्णता , शीतलता कब बाधक हुई ? - भक्ति - 1322
  • कुछ मुझे भी प्रकाश दे कि आँखें खुलें | मूल की भूल है , इसीलिये शूल है , त्रिशूल है | - भक्ति - 1362
  • धूम्र ने उम्र भर अंधकार ही फैलाया | हे जाज्वल्यमान प्रकाश अब तो दर्शन दो | आँखों की अवस्था बुरी , दर्शन प्रकाश देगा | - भक्ति - 1380
  • नाम का प्रकाश जन्म - जन्मान्तर का अंधकार मिटाता , सूर्य तो आधा ही है इसे कल का पता नहीं | - भक्ति - 1409
  • प्रकाश की किरण शरीर पर , मन पर | सौंदर्य बन गया तन का , मन का | - भक्ति - 1411
  • गीता पढूँ कि गीत गाऊँ ? पढ़ नहीं पड़ उन चरणों में कि शीत , ग्रीष्म का कष्ट मिटे | - भक्ति की चेतावनी - 1457
  • यह शीतलता यह ऊष्णता प्रकृति का धर्म है | तेरा धर्म तो प्रेम है | जहाँ शीतलता तेरे नाम में और उष्णता तेरे वियोग में | - भक्ति - 1534
  • ये रश्मियाँ रसमय हैं जहाँ प्रकाश है , विकास है , सन्यास है , विनाश नहीं - आत्म ज्योति का प्रेम प्रकाश है क्योंकि अमिट विश्वास है | - भक्ति - 1577
  • स्नेह में यदि जलन न हो तो प्रकाश कैसे देगा ? - भक्ति - 1602
आगामी उत्सव ( 3 महीना )
गुवाहाटी, श्री शान्ति सत्संग सदन का वार्षिकोत्सव(उदघाटन-1984)   -   बैशाख सुदी तृतीया (अक्षय तृतीया)
30/04/2025 - बुधवार - गुवाहाटी -
घाटशिला,विद्यालय,सन्त श्री नन्दलाल स्मृति विद्या मंदिर का वार्षिकोत्सव (उदघाटन-12/05/1986)   -   बैशाख सुदी तृतीया (अक्षय तृतीया)
30/04/2025 - बुधवार - घाटशिला -
श्रीमती पन्ना देवी गुप्ता ( ताईजी ) का (निर्वाण दिवस-05/05/1987)   -   बैशाख सुदी सप्तमी
04/05/2025 - रविवार - कोलकाता -
श्रीमती राज कुमारी चतुर्वेदी (राज माँ ) का निर्वाण दिवस (28/04/2004)   -   बैशाख सुदी अष्टमी
05/05/2025 - सोमवार - दिल्ली -
रांची , अंतरंग आनंद भवन का वार्षिकोत्सव (उदघाटन-09/06/2022)   -   ज्येष्ठ सुदी दशमी (गंगा दशहरा)
05/06/2025 - गुरूवार - रांची -
अमेरीका (वर्जिनिया),आनंद कुंज का वार्षिकोत्सव (उदघाटन-08/06/2014)   -   ज्येष्ठ सुदी दशमी (गंगा दशहरा)
08/06/2025 - रविवार - अमेरीका (वर्जिनिया) -
पुणे,मातृधारा आनन्द  सत्संग का वार्षिकोत्सव (उदघाटन-24/06/2010)   -   ज्येष्ठ सुदी तेरस
09/06/2025 - सोमवार - पुणे -
श्रीमती बनासा देवी लाठ (माँ बनासा) का  निर्वाण दिवस--- (11-06-1957, मंडरेला)   -   ज्येष्ठ सुदी चतुर्दशी
10/06/2025 - मंगलवार - मंडरेला -
नागपुर, आनंद भवन का वार्षिकोत्सव (उदघाटन-3/07/2011)   -   आषाढ़ सुदी दूज (रथ यात्रा)
27/06/2025 - शुक्रवार - नागपुर -
वीरगंज (नेपाल), श्री महिला सत्संग सदन का वार्षिकोत्सव (उदघाटन-1983)   -   आषाढ़ सुदी दूज (रथ यात्रा)
27/06/2025 - शुक्रवार - वीरगंज (नेपाल) -
श्रीमती चंद्राणी अरोड़ा (बीबी जी) का (निर्वाण दिवस-12/07/1989)   -   आषाढ़ सुदी नवमी
04/07/2025 - शुक्रवार - कोलकाता -
श्री बाबा बलदेव दास का निर्वाण दिवस (29-06-1947 , मंडरेला)   -   आषाढ़ सुदी बारस
07/07/2025 - सोमवार - सब सदनो में -
मंडरेला, श्री बाबा बलदेव दास स्मृति मंदिर का वार्षिकोत्सव (उदघाटन-1978)   -   आषाढ़ सुदी बारस
07/07/2025 - सोमवार - मंडरेला -
गुरू पूर्णिमा   -   आषाढ़ पूर्णिमा
10/07/2025 - गुरूवार - सब सदनो में -
सतगुरु आनन्दघन का निर्वाण दिवस (17/07/1976,कोलकाता)   -   श्रावण बदी षष्टी
16/07/2025 - बुधवार - सब सदनो में -
आगामी उत्सव हिंदी तिथि के अनुसार दिये गयें है कृपया अंतिम जानकारी सबंधित सदनों से लें |(Year-2022-2023.) (Email :- info@bhavnirjharini.com)
भाव निर्झरिणी (Help File-Click Download PDF)
--------------------------------------------------------------

Developed By Shree Anand Matru Satsang,Bhayander(Mumbai)